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अपनी सच्ची प्रकृति को याद रखें, एक संत की तरह जीए, पाँच भाग शृंखला का भाग ५

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सन्यासी बनना आसान नहीं है। आप सबकुछ छोड़ सकते हैं, लेकिन अहम नहीं छोड़ सकते। यह आसान नहीं है। यह इसलिए भी क्योंकि सबकुछ त्याग दिया, तो उनका अहम बहुत बड़ा हो गया।
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