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अपनी सच्ची प्रकृति को याद रखें, एक संत की तरह जीए, पाँच भाग शृंखला का भाग ३

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यदि दुनिया में कोई बुद्धा नहीं होते, कोई संत नहीं, कोई आत्मज्ञानी व्यक्ति नहीं होते अपने आशीर्वाद से, अपनी करुणा से हमारी मदद के लिए, हम हमेशा के लिए ख़त्म हो जाते। यदि हम मानव के रूप में पुनर्जन्म ले सकें, या जानवर के रूप में भी, यह पहले ही बहुत अच्छा है। बस चिंता है हम बहुत अधिक धकेले जा सकते हैं कि हम ग़लत चीज़ें करते हैं, फिर हम नरक में दंडित कए जाएँगे, शायद हमेशा के लिए।
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