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केवल शांति में ही हम कुछ विकसित कर सकते हैं जो देश के नागरिकों के लिए लाभदायक होता है; केवल शांति में ही हम मेज पर अच्छे से बातचीत कर सकते हैं; केवल शांति में ही हमें देश के संपूर्ण लाभ के लिए भविष्य में आगे क्या करना है यह सोचने की पर्याप्त मानसिक शक्ति हो सकती है। स्वर्ग हमारी स्वयं की रचना है। अगर हम एक उज्जवल भविष्य चाहते हैं, तो हमें इसे दूसरों को पेश करना होगा। जो भी हम खुद के लिए चाहते हैं, हमें पहले इसे पेश करना होगा। बाहरी स्थिति स्वयं की आंतरिक स्थिति की एक अभिव्यक्ति है। यदि हम बाहरी स्थिति में परिवर्तन चाहते हैं, सर्वात्तम होगा कि अंदर से परिवर्तन लायें, हां? हमें पहले अपने अंदर शांति लानी होगी। हमें ग्रह पर दूसरे प्राणियों के साथ शांति स्थापित करनी होगी और तब शांति होगी हमारे घर में और हमारे देश में।