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ज्ञान और भक्ति: सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ - श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी से, 2 का भाग 1

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“अपनी सभी योजनाएं और अपनी चतुर मानसिक चालें छोड़ दें, और गुरु के चरणों में गिर जायें। वह अकेला ही रत्न प्राप्त करता है, जिसके माथे पर ऐसी अद्भुत नियति लिखी है।”
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