प्रभु के सामने आज्ञाकारिता और धार्मिकता: पवित्र तनाख की शमूएल की पुस्तक से चयन, दो भाग शृंखला का भाग १2020-07-27ज्ञान की बातें विवरणडाउनलोड Docxऔर पढोक्या प्रभु की (इतना अधिक) जली हुई आहुति और शांति-प्रसाद में इच्छा करते हैं, जितना प्रभु की वाणी को मानने में? देखें, आज्ञा मानना बेहतर है भेंट चढ़ाने के; सुनना (बेहतर है) भेड़ की चर्बी से।